मर्यादा, त्याग और प्रेम के प्रतीक श्रीराम - इनके आदर्शों को आज भी हम मानते !
त्रेतायुग में घटित रामायण कि गाथा बस एक काव्य या धर्म गाथा नहीं !
भगवान राम ने अपने जीवन के आदर्शों से एक व्यक्ति के जीवन को परिभाषित किया,
उन्होंने मर्यादित जीवन में पिता माता, भाई, पत्नी, राजा प्रजा, मित्र और उनसे जुड़े क्रतव्यों का निर्वाह कैसे किया जाये !
नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं
प्रभुता पाई जाहि मद नाहीं
संसार में ऐसा कोई नहीं है जिसको प्रभुता पाकर घमंड न हुआ हो [बालकांड]
कीरति भनिति भूति भलि सोई
सुरसरि सम सब कहं हित होई
कीर्ति, कविता और सम्पत्ति वही उत्तम है, जो गंगाजी की भांति सबका हित करती है [बालकांड]
लोकमान्यता अनल सम, कर तपकानन दाहु
लोक में प्रतिष्ठा आग के समान है जो तपस्या रूपी बन को भस्म कर डालती है [बालकांड]
प्रगतिशील और मर्यादित जीवन पर हम सब चलते रहें। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मोत्सव कि हार्दिक शुभकामनायें !!
त्रेतायुग में घटित रामायण कि गाथा बस एक काव्य या धर्म गाथा नहीं !
भगवान राम ने अपने जीवन के आदर्शों से एक व्यक्ति के जीवन को परिभाषित किया,
उन्होंने मर्यादित जीवन में पिता माता, भाई, पत्नी, राजा प्रजा, मित्र और उनसे जुड़े क्रतव्यों का निर्वाह कैसे किया जाये !
नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं
प्रभुता पाई जाहि मद नाहीं
संसार में ऐसा कोई नहीं है जिसको प्रभुता पाकर घमंड न हुआ हो [बालकांड]
कीरति भनिति भूति भलि सोई
सुरसरि सम सब कहं हित होई
कीर्ति, कविता और सम्पत्ति वही उत्तम है, जो गंगाजी की भांति सबका हित करती है [बालकांड]
लोकमान्यता अनल सम, कर तपकानन दाहु
लोक में प्रतिष्ठा आग के समान है जो तपस्या रूपी बन को भस्म कर डालती है [बालकांड]
प्रगतिशील और मर्यादित जीवन पर हम सब चलते रहें। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मोत्सव कि हार्दिक शुभकामनायें !!
Post by Haldirams Online.
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